Delhi Pollution: दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में लगातार बिगड़ती वायु गुणवत्ता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कड़ा रुख अपनाया. अदालत ने साफ कहा कि प्रदूषण की समस्या अब ऐसे मोड़ पर पहुंच चुकी है जहां तुरंत ठोस और प्रभावी कदम जरूरी हैं. मामले की अगली सुनवाई 3 दिसंबर को होगी.
न्यायालय की बेंच ने दिखाई गंभीर चिंता
STORY | SC to take up plea on Delhi-NCR pollution on Dec 3, says need for continuous monitoring
— Press Trust of India (@PTI_News) November 27, 2025
The Supreme Court on Thursday agreed to hear on December 3 a plea concerning the deteriorating air quality in the Delhi–National Capital Region, saying the issue needed to be… pic.twitter.com/2CTVen67Qm
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की बदतर स्थिति पर गहरी चिंता जताई. सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील अपराजिता सिंह ने बताया कि राजधानी में वायु गुणवत्ता “अत्यंत गंभीर” स्तर पर है और हालात स्वास्थ्य आपातकाल जैसे बनते दिखाई दे रहे हैं. अपराजिता सिंह इस मामले में एमिकस क्यूरी के रूप में अदालत की सहायता कर रही हैं.
“समस्या सभी को पता है… लेकिन समाधान क्या है?” — सीजेआई
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने सुनवाई के दौरान कहा कि न्यायपालिका के पास कोई जादुई छड़ी नहीं है. हर कोई जानता है कि दिल्ली-एनसीआर के लिए यह स्थिति खतरनाक है, लेकिन सबसे अहम सवाल यह है कि वास्तविक समाधान क्या हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि प्रदूषण के स्रोतों की सही पहचान और विशेषज्ञों की सिफारिशें ही ठोस नीति निर्माण का आधार बन सकती हैं.
सरकार और विशेषज्ञों से सुझाव तलब
अदालत ने केंद्र, दिल्ली सरकार और संबंधित एजेंसियों से पूछा कि विभिन्न क्षेत्रों में प्रदूषण पर नियंत्रण को लेकर कौन-कौन से कदम उठाए गए हैं और समितियों की रिपोर्ट में क्या सुझाव दिए गए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वायु प्रदूषण की चुनौती से निपटने के लिए सिर्फ अस्थायी नहीं, बल्कि लंबे समय तक असर दिखाने वाले निर्णय लेने की जरूरत है.
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