Pradosh Vrat 2026 : नववर्ष 2026 शिवभक्तों के लिए खास संकेत लेकर आ रहा है. साल के पहले ही महीने जनवरी में तीन बार प्रदोष व्रत का योग बन रहा है. विशेष बात यह है कि वर्ष की शुरुआत गुरु प्रदोष व्रत से हो रही है, जिसे ज्योतिष और धर्म दोनों दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार पहला प्रदोष व्रत 1 जनवरी 2026, गुरुवार के दिन मनाया जाएगा.
गुरु प्रदोष क्यों माना जाता है विशेष?
प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना का प्रमुख अवसर होता है. जब यह व्रत गुरुवार को पड़ता है, तो इसे गुरु प्रदोष कहा जाता है. गुरुवार का संबंध देवगुरु बृहस्पति और भगवान विष्णु से होने के कारण इस दिन शिव के साथ विष्णु की कृपा भी प्राप्त होती है. शास्त्रों में इसे दुर्लभ और फलदायी योग बताया गया है.
जनवरी 2026 में प्रदोष व्रत की तिथियां
जनवरी 2026 में प्रदोष व्रत तीन अलग-अलग तिथियों पर मनाया जाएगा.
- पहला प्रदोष व्रत : 01 जनवरी 2026 को होगा, जो पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर पड़ेगा.
- दूसरा प्रदोष व्रत : 16 जनवरी को रखा जाएगा, यह माघ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से संबंधित होगा.
- तीसरा प्रदोष व्रत : 30 जनवरी 2026 को आएगा, जो माघ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ेगा और शुक्रवार होने के कारण इसे शुक्र प्रदोष कहा जाएगा.
पहले प्रदोष व्रत का समय और पूजा काल
वैदिक पंचांग के अनुसार 1 जनवरी 2026 को त्रयोदशी तिथि का आरंभ तड़के लगभग 1:47 बजे होगा और इसका समापन रात करीब 10:22 बजे माना गया है. इस दिन प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद शाम लगभग 5:35 बजे से रात 8:19 बजे तक रहेगा. यही समय भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे श्रेष्ठ माना जाता है.
Pradosh Vrat 2026 : गुरु प्रदोष व्रत का धार्मिक फल
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुरु प्रदोष व्रत रखने से ज्ञान, विवेक और भाग्य में वृद्धि होती है. यह व्रत जीवन में चल रहे मानसिक और भौतिक कष्टों को दूर करता है. कहा जाता है कि इस दिन श्रद्धापूर्वक उपासना करने से शत्रु बाधाएं समाप्त होती हैं, परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और साधक को महादेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है. नियमित प्रदोष व्रत करने वालों पर अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता और जीवन में स्थिरता आती है.
Pradosh Vrat 2026 : प्रदोष व्रत की विधि
प्रदोष व्रत के दिन प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें. संध्या काल में पुनः स्नान कर शिवलिंग या शिव-पार्वती की प्रतिमा की स्थापना करें. पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल) से शिवलिंग का अभिषेक करें.
इसके बाद बेलपत्र, धतूरा, अक्षत, सफेद पुष्प और कनेर अर्पित करें. पूजा के दौरान “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जप करें और शिव चालीसा या प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें. अंत में दीप प्रज्वलित कर आरती करें और पूजा में हुई भूल के लिए क्षमा प्रार्थना करें. व्रत का पारण फलाहार या प्रसाद से करें.
Pradosh Vrat 2026 : गुरु प्रदोष पर लाभकारी उपाय
गुरु प्रदोष के दिन कुछ विशेष उपाय करने से फल कई गुना बढ़ जाता है. तांबे के पात्र में जल और काले तिल मिलाकर शिवलिंग पर अर्पित करने से पितृ संबंधी बाधाएं शांत होती हैं. शुद्ध आटे से चार या पांच मुख वाले दीपक बनाकर मंदिर या पूजा स्थल पर जलाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है.
भगवान शिव को पीले या सफेद कनेर के फूलों की माला अर्पित करने से जीवन में अटके कार्य गति पकड़ते हैं और लंबे समय से रुकी इच्छाएं पूरी होने लगती हैं. श्रद्धा और विश्वास के साथ किए गए ये उपाय शीघ्र फल देने वाले माने जाते हैं.
Pradosh Vrat Parana Time: प्रदोष व्रत पारण का सही समय
02 जनवरी 2026 दिन शुक्रवार की सुबह 06 बजकर 41 मिनट के बाद प्रदोष व्रत का पारण करने का सही समय है. हालांकि प्रदोष काल में पूजा करने के बाद भी प्रसाद ग्रहण कर व्रत खोल सकते है.
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