Madhya Pradesh Women Leadership : मध्य प्रदेश में महिलाएं अब हर क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं. 17 जिलों में महिला कलेक्टर प्रशासनिक कार्यों को सफलता पूर्वक संचालित कर रही हैं. साथ ही, प्रदेश की 12,319 ग्राम पंचायतों में महिला सरपंचों ने स्थानीय शासन और विकास के निर्णयों में अहम योगदान दिया है. नगरीय निकायों और सरकारी सेवाओं में भी 35 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए आरक्षित हैं, जो यह दिखाता है कि प्रशासन और नीतियों में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है.
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार को आयोजित “सशक्त नारी–समर्थ नारी संवाद” कार्यक्रम में कहा कि आज उनकी सभा में महिलाएं नहीं, बहनें आई हैं. इस अवसर पर मुख्यमंत्री निवास में विभिन्न क्षेत्रों की प्रबुद्ध महिलाएं, आजीविका मिशन से जुड़ी महिलाएं और ‘ड्रोन दीदीयां’ शामिल हुईं. इस संवाद का उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना और उनके अनुभवों को साझा करना है.
16 नगरीय निकायों में से नौ में महिलाएं महापौर
प्रदेश के 16 नगरीय निकायों में से नौ में महिलाएं महापौर के रूप में नेतृत्व दे रही हैं. कुल 7,321 पार्षदों में से 4,154 महिलाएं हैं. इसके अतिरिक्त, 875 जिला पंचायत सदस्यों में 519 महिलाएं और 6,771 जनपद पंचायत सदस्यों में 4,068 महिलाएं सक्रिय भूमिका निभा रही हैं. मुख्यमंत्री ने बताया कि यह आंकड़े महिलाओं की निर्णय प्रक्रिया में बढ़ती भागीदारी का संकेत हैं.
ग्राम पंचायतों में 12,319 का नेतृत्व कर रही महिलाएं
प्रदेश की कुल 22,923 ग्राम पंचायतों में 12,319 का नेतृत्व महिलाएं कर रही हैं. यह आंकड़ा न केवल ग्रामीण प्रशासन में महिलाओं की उपस्थिति को दर्शाता है, बल्कि यह उनके सशक्तिकरण और नेतृत्व क्षमता को भी उजागर करता है. इसके अलावा, कई जिलों में एसपी, नगर निगम अध्यक्ष, नगर पालिका अध्यक्ष और जिला पंचायत अध्यक्ष जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां भी महिलाएं संभाल रही हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि महिलाओं का यह योगदान समाज में संतुलन और संवेदनशीलता लाता है. महिलाओं को उद्योग स्थापित करने के लिए सब्सिडी दी जाती है. इसके अलावा, संपत्ति में हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए रजिस्ट्री में अतिरिक्त दो प्रतिशत छूट का लाभ भी दिया जा रहा है, जिससे महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता सुनिश्चित हो रही है.
बेटी ने प्रस्तुत किया देशभक्ति गीत
कार्यक्रम के दौरान बेटी सरगम कुशवाह ने मधुर देशभक्ति गीत प्रस्तुत किया. मुख्यमंत्री ने उन्हें सम्मान और प्रोत्साहन स्वरूप 51,000 रुपये देने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि इस तरह का संवाद बहनों और बेटियों के साथ आगामी महीनों में भी जारी रहेगा, ताकि उन्हें समाज में अपनी भूमिका पहचानने और उसे निभाने का अवसर मिले.
मुख्यमंत्री ने अपनी सफलता का श्रेय बड़ी बहन कलावती यादव को दिया. उन्होंने बताया कि मां और बहन द्वारा दी गई संस्कार, स्नेह और हिम्मत उनके लिए आगे बढ़ने का आधार बनी. उनके परिवार में बहू भी बेटी के समान सम्मान और स्नेह की हकदार है. यह परिवारिक दृष्टिकोण महिलाओं के प्रति समावेश और समानता का उदाहरण प्रस्तुत करता है.
महिलाओं के लिए सरकारी पहल और योजनाएं
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार जन-निजी भागीदारी (PPP मोड) के तहत मेडिकल कॉलेज और अस्पताल स्थापित करने के लिए 25 एकड़ भूमि तक लीज पर उपलब्ध करा रही है. आर्थिक रूप से कमजोर, मेधावी विद्यार्थियों की एमबीबीएस की फीस 70 से 80 लाख रुपये तक राज्य सरकार द्वारा दी जा रही है.
साथ ही सूक्ष्म उद्योग, लघु और कुटीर उद्योग से लेकर हैवी इंडस्ट्री तक में महिलाओं को हर संभव सहयोग दिया जा रहा है. प्रदेश में लागू 18 नई नीतियों में महिलाओं को विशेष स्थान दिया गया है. पिछले दो वर्षों में लागू ‘लाड़ली बहना योजना’ ने घरों और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद की है.
मध्य प्रदेश में महिलाओं की भागीदारी अब सिर्फ घर या सीमित क्षेत्र तक नहीं रही. प्रशासन, नीति निर्माण और स्थानीय विकास के हर क्षेत्र में उनका प्रभाव दिखाई दे रहा है. इस बदलाव से प्रदेश की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संरचना मजबूत और संतुलित बनी है.
महिला नेतृत्व केवल संख्या नहीं, बल्कि गुणवत्ता और परिणाम की भी गारंटी है. इस बदलाव से समाज में निर्णय लेने की प्रक्रिया अधिक न्यायसंगत और संवेदनशील हुई है. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि महिलाओं की भागीदारी से न केवल प्रशासनिक प्रणाली में सुधार हुआ है, बल्कि यह नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन रही है.
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