Ethiopia’s volcano eruption ash could reach India: इथियोपिया में लगभग 10,000 वर्षों से शांत पड़े ज्वालामुखी के अचानक फटने के बाद वायुमंडल में उठा विशाल राख का गुबार अब भारत की ओर बढ़ रहा है. विशेषज्ञों और मौसम एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि यह राख का बादल अगले 24–36 घंटों में पश्चिमी भारत में प्रवेश कर सकता है और फिर कई उत्तरी राज्यों को प्रभावित करेगा. फिलहाल एयरलाइंस और पर्यावरण एजेंसियाँ स्थिति की लगातार निगरानी कर रही हैं.
इथियोपिया में अप्रत्याशित विस्फोट, 15 किमी ऊपर तक उठा धुएँ का गुबार
अफार क्षेत्र की एर्टा अले रेंज में स्थित हायली गुब्बी ज्वालामुखी रविवार सुबह अचानक सक्रिय हो गया. तूलूज वोल्कैनिक ऐश एडवाइजरी सेंटर (VAAC) के अनुसार, विस्फोट सुबह 8:30 बजे यूटीसी के आसपास शुरू हुआ और थोड़ी देर बाद शांत हो गया, लेकिन इससे उठी राख की एक विशाल परत 15 किलोमीटर तक ऊँचाई पर फैल गई.
एजेंसियों का कहना है कि राख में सूक्ष्म काँच जैसे कण, ज्वालामुखीय धूल और सल्फर डाइऑक्साइड मौजूद है, जो दूर तक हवा के साथ तेजी से यात्रा कर सकते हैं.
राख का बादल भारत की ओर, मौसम एजेंसियों की नजर
IndiaMetSky Weather ने चेतावनी दी है कि यह राख का गुबार 100–120 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से भारत की दिशा में बढ़ रहा है.
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार:
- 25 नवंबर की शाम तक यह बादल गुजरात के पश्चिमी हिस्सों को छू सकता है.
- इसके बाद यह राजस्थान, उत्तर-पश्चिम महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब की ओर बढ़ेगा.
- रात तक यह परत हिमालयी क्षेत्रों तक पहुँच सकती है.
एजेंसी ने कहा कि राख का यह गुबार आसमान को सामान्य से अधिक धुँधला और गहरा दिखा सकता है. इसके अतिरिक्त उड़ानों के मार्ग बदलने या देरी की आशंका भी बढ़ सकती है.
मौसम सेवा ने यह भी बताया कि हायली गुब्बी से लेकर गुजरात तक फैली राख की एक लंबी पट्टी सैटेलाइट से साफ दिखाई दे रही है. विस्फोट भले ही थम चुका है, लेकिन हवा की ऊपरी परतों में मौजूद राख लगातार आगे बढ़ रही है.
हायली गुब्बी में विस्फोट क्यों हुआ?
विशेषज्ञों के अनुसार, हायली गुब्बी एक शील्ड ज्वालामुखी है और यह क्षेत्र अफार रिफ्ट जोन का हिस्सा है, जहाँ पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटें धीरे-धीरे अलग हो रही हैं.
इस प्रक्रिया से धरती की गहराई में मैग्मा के लिए रास्ते बनते हैं.
काफी समय से दबाव झेल रहा मैग्मा धीरे-धीरे ऊपर आता गया और जब दबाव सीमा से आगे बढ़ गया, तो अचानक हिंसक विस्फोट हुआ.
विशेषज्ञ मानते हैं कि रिफ्ट जोन में जारी गहरी टेक्टोनिक हलचल भविष्य में और बदलाव ला सकती है.
राख लाल सागर पार कर ओमान तक पहुंची
विस्फोट के बाद उठा राख का बादल लाल सागर पार करते हुए ओमान और यमन की दिशा में पहुँचा और फिर पूर्व की ओर मुड़ गया.
इसके चलते मध्य पूर्व के कुछ इलाकों में हल्की ज्वालामुखी राख दर्ज की गई है. कई एयरलाइंस ने उड़ानों में सावधानी बरतने के निर्देश जारी किए हैं, हालांकि भारत के लिए VAAC ने अब तक कोई औपचारिक चेतावनी जारी नहीं की है.
फिलहाल भारतीय मौसम एजेंसियाँ बादल की हर गतिविधि पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं और निकट भविष्य में इसका असर पश्चिमी और उत्तरी भारत के आसमान में देखने को मिल सकता है.
एएनआई के इनपुट के साथ.
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