Greater Patna Plan: बिहार में नई सरकार बनने के बाद शहरी ढांचे को पूरी तरह नया रूप देने की तैयारी तेज हो गई है. मंगलवार की कैबिनेट बैठक में वह अहम निर्णय लिये जाने की उम्मीद है, जिसकी प्रतीक्षा कई वर्षों से की जा रही थी. पटना–सोनपुर के बीच विकसित होने वाली ‘ग्रेटर पटना’ ग्रीनफील्ड टाउनशिप इसी बदलाव का बड़ा आधार बनेगी. दिल्ली–एनसीआर मॉडल पर राजधानी को एक विस्तृत महानगरीय क्षेत्र में बदलने का रास्ता अब खुलता दिख रहा है.
पटना–सोनपुर बेल्ट में ‘न्यू पटना’ की तैयारी
नगर विकास विभाग की योजना के अनुसार, इस महत्वाकांक्षी परियोजना की शुरुआत पटना को केंद्र में रखकर की जा रही है. सोनपुर के व्यापक भूभाग को जोड़ते हुए ‘न्यू पटना’ या ‘ग्रेटर पटना’ नाम से एक आधुनिक एवं सुव्यवस्थित ग्रीनफील्ड शहर बसाने का प्रस्ताव है.
बिहार की ताजा खबरों के लिए यहां क्लिक करें
इस टाउनशिप में चौड़ी सड़कें, बड़े हरित क्षेत्र, स्वास्थ्य सुविधाएँ, स्कूल–कॉलेज, कॉर्पोरेट व बिजनेस ज़ोन, आवासीय सेक्टर और हाई–डेंसिटी ट्रांजिट कॉरिडोर तक की योजना शामिल है.
कैबिनेट में एक अन्य प्रमुख प्रस्ताव सीतामढ़ी में ‘सीतापुरम’ नाम की आध्यात्मिक सिटी को मंजूरी देने का भी है. मां जानकी की जन्मस्थली को वैश्विक धार्मिक–पर्यटन मानचित्र पर मजबूत पहचान दिलाने के लिए यह टाउनशिप तैयार की जा रही है, ताकि यह मथुरा, अयोध्या और उज्जैन जैसे प्रमुख तीर्थ–केंद्रों की तरह स्थापित हो सके.
सभी प्रमंडलीय मुख्यालयों में सैटेलाइट सिटी का प्लान
नव नियुक्त नगर विकास मंत्री नितिन नवीन ने कार्यभार संभालते ही इस बड़े बदलाव को प्राथमिकता दी है. विभाग की ओर से सात प्रस्ताव कैबिनेट को भेजे गए हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण है—बिहार के नौ प्रमंडलीय मुख्यालयों में मॉडल सिटी विकसित करने की योजना.
इससे मुजफ्फरपुर, भागलपुर, गया, दरभंगा, पूर्णिया, सहरसा, चंपारण और अन्य प्रमुख शहरों में भी समान आधार पर सैटेलाइट टाउनशिप स्थापित की जाएँगी.
लैंड पूलिंग मॉडल: जमीन मालिकों को लाभ, सरकार पर कम बोझ
पिछले वर्ष अगस्त में राज्य सरकार ने नई टाउनशिप नीति को मंजूरी दी थी, जिसमें लैंड पूलिंग मॉडल को आधार बनाया गया है. दिल्ली–एनसीआर, हरियाणा और गुजरात की तर्ज पर लागू होने वाले इस मॉडल में जमीन मालिकों की भूमि लेकर उसे विकसित किया जाएगा और फिर उन्हें विकसित प्लॉट का 55% हिस्सा वापस मिलेगा.
बाकी भूमि का उपयोग इस प्रकार प्रस्तावित है—
- 22% सड़क और परिवहन ढांचा
- 5% पार्क, अस्पताल, सार्वजनिक उपयोग सेवाएँ
- 3% आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के आवास
- शेष 15% भाग सरकार बाजार मूल्य पर बेचेगी या कॉलोनी विकसित कर उपलब्ध कराएगी
बिहार का पहला मेगासिटी प्लान—दिल्ली एनसीआर मॉडल पर ग्रेटर पटना
ग्रेटर पटना को बिहार का पहला ऐसा मेगासिटी माना जा रहा है, जिसे पूरी तरह अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ प्लान किया जा रहा है.
ट्रैफिक प्रबंधन, जल निकासी, स्मार्ट ट्रांजिट व्यवस्था, कचरा निस्तारण, हरित क्षेत्र और सार्वजनिक स्थानों के विकास को इस परियोजना में सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है. सरकार का लक्ष्य है कि पटना–सोनपुर कॉरिडोर आने वाले वर्षों में बिहार की आर्थिक ग्रोथ का प्रमुख केंद्र बने.
सोमवार देर रात तक नगर विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारी—सचिव अभय कुमार और बुडको के एमडी अनिमेष कुमार—मंत्री नितिन नवीन के साथ प्रस्तावों पर विस्तृत चर्चा करते रहे. विभाग को भरोसा है कि इस बार कैबिनेट में परियोजनाओं को बिना किसी बदलाव के मंजूरी मिल जाएगी.
बिहार के शहरी भविष्य की नई तस्वीर
ग्रेटर पटना, सीतापुरम और नौ प्रमंडलों में प्रस्तावित सैटेलाइट सिटीज मिलकर बिहार के शहरी ढांचे को नई दिशा देने वाली हैं. इससे बड़े शहरों पर बढ़ते जनसंख्या दबाव में कमी आएगी, रोजगार के अवसर बनेंगे, ट्रैफिक और प्रदूषण का बोझ घटेगा और निवेशकों को बेहतर वातावरण मिलेगा.
सरकार इन परियोजनाओं को आने वाले दशक की सबसे निर्णायक शहरी सुधार पहल मान रही है.
इसे भी पढ़ें-
10,000 साल बाद फटा इथियोपिया का ज्वालामुखी; भारत की ओर बढ़ती राख पर मौसम विभाग का अलर्ट
बिहार में काली कमाई का खेल; SVU ने धनकुबेर ऑफिसर के करोड़ों की संपत्ति का किया पर्दाफाश

