Sheikh Hasina : बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (ICT) ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई है. यह फैसला जुलाई–अगस्त 2024 के दौरान हुए आंदोलन के दौरान हुई हिंसा और हत्याओं के मामलों में दिया गया. शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी ठहराया गया.
अपराधों के मुकदमे और अन्य आरोपी
इस मामले में हसीना के अलावा पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून पर भी मुकदमा चला. ICT ने सोमवार को जस्टिस मोहम्मद गोलाम मुर्तुजा मोजुमदार की अध्यक्षता में यह फैसला सुनाया, जिसे लाइव प्रसारित किया गया.
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— Open Source Intel (@Osint613) November 17, 2025
Bangladesh's exiled former PM Sheikh Hasina has been sentenced to death in absentia by a court for crimes against humanity, after being found guilty of ordering a deadly crackdown on student-led protests last year that killed up to 1,400 people, per UN estimates. pic.twitter.com/LNM88x5R6G
फैसले की विस्तार से जानकारी
जजों ने 453 पन्नों के फैसले के छह हिस्सों में से कई हिस्से पढ़कर सुनाए. इनमें शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों में सर्वोच्च दोषी ठहराया गया. वहीं, पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को मौत की सजा से राहत दी गई, क्योंकि उन्होंने सरकारी गवाह के रूप में सहयोग किया.
बांग्लादेश की ICT का फैसला, तीन मुख्य आरोपों में दोषी ठहराया
बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (ICT) ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों में दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई. शेख हसीना और उनके साथ पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमाल तथा पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून के खिलाफ मुकदमा चला.
तीन मुख्य आरोप
ट्रिब्यूनल ने शेख हसीना को तीन आरोपों में दोषी पाया:
- न्याय में बाधा डालना.
- हत्याओं का आदेश देना.
- दंडात्मक हत्याओं को रोकने के लिए कदम न उठाना.
जजों ने कई रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि ढाका में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ शेख हसीना ने हेलीकॉप्टर और घातक हथियारों के इस्तेमाल के आदेश दिए. घायलों को चिकित्सा सुविधा से वंचित किया गया और अस्पताल में भर्ती किए गए पीड़ितों के निशान छिपाए गए. एक डॉक्टर को पोस्ट-मोर्टम रिपोर्ट बदलने की धमकी भी दी गई.
फायरिंग और संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट
कोर्ट में शेख हसीना के एक ऑडियो को प्रस्तुत किया गया, जिसमें वह प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग का आदेश देती दिखीं. ICT ने अपनी रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार समिति की रिपोर्ट का भी उल्लेख किया, जिसमें जुलाई–अगस्त 2025 के संघर्ष में 1,400 लोगों के मारे जाने की बात कही गई. फैसला सुनाए जाने पर पीड़ित परिवारों के लोग रोते हुए देखे गए, जबकि कोर्ट में मौजूद अन्य लोग तालियां बजा रहे थे.
2024 चुनाव और बिगड़ता मामला
78 वर्षीय शेख हसीना के खिलाफ मामला जनवरी 2024 में चुनावों के बाद शुरू हुआ. विपक्षी पार्टियों के चुनाव न लड़ने और उनके जीत को तानाशाही का रूप देने के आरोप लगे. अगस्त 2024 में छात्र विद्रोह के बाद बांग्लादेश में हिंसा फैल गई. अंततः शेख हसीना को 5 अगस्त को बांग्लादेश छोड़कर भारत आना पड़ा. उनकी अनुपस्थिति में अंतरिम सरकार ने आवामी लीग को बैन कर दिया.
मुकदमे की प्रक्रिया
ICT-1 ने जुलाई विद्रोह के दौरान मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोप में 453 पन्नों का फैसला पढ़ा. मामून राज्य गवाह बने और अभियोजन ने पांच आरोप दायर किए, जिसमें मृत्युदंड और संपत्ति ज़ब्त करने की मांग की गई. मुकदमे में 81 गवाहों में से 54 ने गवाही दी, जिसमें पूर्व IGP और जांच अधिकारी भी शामिल थे. 23 अक्टूबर को बहस पूरी हुई और ट्रिब्यूनल ने 17 नवंबर को फैसला सुनाया.
अलग-अलग आरोप
- काउंट 1: हत्या, हत्या का प्रयास, यातना और अन्य अमानवीय कृत्य.
- काउंट 2: छात्र प्रदर्शनकारियों को दबाने के लिए हथियारों, हेलीकॉप्टर और ड्रोन का आदेश.
- काउंट 3: बेगम रौकैया विश्वविद्यालय के छात्र अबु सैयद की हत्या.
- काउंट 4: चांकहरपुल में छह निहत्थे प्रदर्शनकारियों की हत्या की साजिश.
- काउंट 5: पांच प्रदर्शनकारियों की गोली मारकर हत्या और एक को घायल करना.
फिलहाल शेख हसीना भारत में, नहीं दिया जा सकता है दंड
शेख हसीना वर्तमान में भारत में हैं. इसलिए उन्हें बांग्लादेश में कोई दंड नहीं दिया जा सकता. अधिकारियों ने कहा कि बांग्लादेश इस मामले को सभी कानूनी विकल्पों के तहत देखेगा.
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