Bihar News : भागलपुर के समीक्षा भवन में जिलाधिकारी डॉ. नवल किशोर चौधरी के निर्देश पर उप विकास आयुक्त प्रदीप कुमार सिंह की अध्यक्षता में स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न कार्यक्रमों की विस्तृत समीक्षा बैठक आयोजित की गई. बैठक में विभागीय कार्यों की प्रगति, तकनीकी अनुपालन और सेवा गुणवत्ता पर विशेष जोर दिया गया.
भव्या ऐप से ओपीडी इलाज में 96 प्रतिशत उपलब्धि
बैठक में पावरप्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया गया कि भव्या ऐप के माध्यम से ओपीडी सेवाएं संचालित की जा रही हैं, जिसकी उपलब्धि 96 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है. अब चिकित्सक कागजी पुर्जा नहीं देते, बल्कि भव्या ऐप पर मरीज का ऑनलाइन पंजीकरण कर दवा विवरण सहित डिजिटल पुर्जा तैयार करते हैं. मरीज को दिए गए टोकन के आधार पर दवा वितरण काउंटर से दवा उपलब्ध कराई जाती है.
उप विकास आयुक्त ने निर्देश दिया कि भव्या ऐप का शत-प्रतिशत उपयोग सुनिश्चित किया जाए, ताकि मरीजों को अनावश्यक प्रतीक्षा न करनी पड़े और बार-बार इधर-उधर न घूमना पड़े. दवा वितरण की पूरी प्रविष्टि अनिवार्य रूप से दर्ज करने के निर्देश भी दिए गए. निजी दवा दुकानों में सरकारी दवा पाए जाने पर जांच कर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी गई.
कम पंजीकरण वाले पीएचसी की होगी जांच
जिन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भव्या पंजीकरण कम पाया गया और मरीजों को लिखित पुर्जा दिया जा रहा है, वहां चिकित्सक और पदाधिकारियों की टीम बनाकर जांच करने के निर्देश दिए गए हैं. इस श्रेणी में रंगरा चौक, जगदीशपुर और गोपालपुर पीएचसी शामिल हैं. वहीं एमसीडी स्क्रीनिंग में जगदीशपुर, रंगरा चौक और गोराडीह की उपलब्धि कम पाई गई.
एसएनसीयू में सरकारी बेड खाली, रेफरल पर सवाल
एसएनसीयू (स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट) की समीक्षा में सामने आया कि नवंबर माह में कुल 64 नवजात बच्चों को एसएनसीयू में भर्ती कराया गया, जिनमें 27 घर पर और 37 अस्पताल में जन्मे थे. समीक्षा में यह भी पाया गया कि निजी एसएनसीयू में शत-प्रतिशत भर्ती हो रही है, जबकि सरकारी एसएनसीयू के बेड खाली रह जाते हैं. इस पर उप विकास आयुक्त ने शून्य रेफर करने वाले पीएचसी की समीक्षा करते हुए कुपोषित बच्चों को अनिवार्य रूप से एसएनसीयू में रेफर करने का निर्देश दिया.
एमडीआर और हाई रिस्क प्रेगनेंसी पर कड़ी नजर
मातृत्व मृत्यु दर (एमडीआर) की समीक्षा में जिन क्षेत्रों में दर अधिक पाई गई, वहां के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को कारणों की गहन समीक्षा करने का निर्देश दिया गया. प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत जिन स्वास्थ्य इकाइयों से हाई रिस्क प्रेगनेंसी रिपोर्टिंग शून्य पाई गई, उनकी जांच के आदेश दिए गए. इनमें यूपीएचसी रकाबगंज, बुधिया, इस्माइलपुर, बरारी, कालीघाट और सच्चिदानंद नगर शामिल हैं.
एम-आशा ऐप के उपयोग में नारायणपुर प्रखंड की उपलब्धि 67 प्रतिशत पाए जाने पर संबंधित बीपीएम से कारण बताओ स्पष्टीकरण मांगा गया है.
आधे घंटे में इलाज और दवा देने का लक्ष्य
बैठक के अंत में उप विकास आयुक्त ने स्पष्ट कहा कि सभी अस्पतालों में चिकित्सक और दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए. मरीजों को किसी भी तरह की परेशानी न हो, संसाधनों का बेहतर उपयोग हो और किसी भी प्रकार का दोहन न होने पाए. लक्ष्य यह है कि आधे घंटे के भीतर मरीज का इलाज हो जाए और उसे आवश्यक दवा उपलब्ध करा दी जाए. इसी उद्देश्य के साथ सभी स्वास्थ्य संस्थानों को कार्य करने का निर्देश दिया गया.
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