Prashant Kishor: बिहार विधानसभा चुनाव में अपेक्षित परिणाम न आने के बाद जनसुराज के प्रमुख प्रशांत किशोर पहली बार मीडिया के समक्ष विस्तार से बोले पटना में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने स्वीकार किया कि संगठन को जनता का विश्वास दिलाने में वे स्वयं सफल नहीं हुए प्रेस वार्ता के दौरान कुछ क्षणों में वे भावुक भी दिखाई दिए उनका कहना था कि सम्मेलन में बड़ी संख्या में साथियों की उपस्थिति इस बात का संकेत है कि अभियान निरर्थक नहीं था
कोशिश पूरी रही, परंतु नतीजे हमारे पक्ष में नहीं आए
किशोर ने अपनी बात रखते हुए कहा कि लगभग साढ़े तीन वर्ष पूर्व बिहार में परिवर्तन का विचार लेकर उन्होंने यात्रा प्रारंभ की थी गांव-गांव घूमकर और अलग-अलग समुदायों से संवाद कर उन्होंने टीम के साथ एक विकल्प तैयार करने का प्रयास किया
उन्होंने कहा कि “कोशिश पूरी रही, परंतु नतीजे हमारे पक्ष में नहीं आए जनता ने हमें नहीं चुना, इसका अर्थ यही है कि हमारी मेहनत अपेक्षित स्तर तक नहीं पहुँची”
किशोर ने यह भी माना कि उनकी मुहिम ने राजनीतिक चर्चा में थोड़ी हलचल अवश्य पैदा की, किंतु इसे पर्याप्त जनसमर्थन में परिवर्तित नहीं किया जा सका
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‘नतीजों की जवाबदेही मेरी’
संवाद के दौरान उन्होंने स्पष्ट किया कि चुनावी हार के लिए वे स्वयं जिम्मेदार हैं उन्होंने कहा कि “यह निर्णय जनता का है और उसकी पूरी जवाबदेही मेरी है मैं अपने उम्मीदवारों तक जनता का भरोसा नहीं पहुँचा पाया”
उन्होंने बताया कि उनकी ओर से कई योग्य प्रत्याशी मैदान में उतरे थे, लेकिन मतदाता का झुकाव अन्य दलों की ओर रहा एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि “जनता जिस स्वाद की आदी है, उसे वही पसंद आता है, उसे बदलने का प्रयास सफल नहीं होता”
पूर्व सरकार की योजनाओं पर प्रश्न
प्रेस वार्ता में किशोर ने एनडीए सरकार की चुनावपूर्व घोषणाओं पर भी टिप्पणी की उन्होंने कहा कि मतदान से पहले बड़े पैमाने पर योजनाओं की बात की गई और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के नाम पर आर्थिक सहायता भेजी गई साथ ही अतिरिक्त राशि देने का वचन भी दिया गया था
उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि यदि सरकार निर्धारित अवधि में महिलाओं को घोषित धनराशि उपलब्ध करा देती है, तो वे सार्वजनिक जीवन से हटने का निर्णय ले लेंगे अन्यथा, उनके अनुसार, यह साबित होगा कि वादे केवल चुनावी लाभ के लिए किए गए थे
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