Delhi School : राजधानी दिल्ली में निजी स्कूलों द्वारा लगातार फीस बढ़ाए जाने की शिकायतों के बीच दिल्ली सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने दिल्ली स्कूल शिक्षा (शुल्क निर्धारण और विनियमन में पारदर्शिता) अधिनियम, 2025 को लागू कर दिया है. सरकार का दावा है कि यह कानून बीते 27 वर्षों में शिक्षा क्षेत्र में किया गया सबसे बड़ा सुधार है, जिसका उद्देश्य अभिभावकों को राहत देना और बच्चों की पढ़ाई को आर्थिक बोझ से मुक्त करना है.
कौन-कौन से शुल्क ही ले सकेंगे स्कूल
नए फीस रेगुलेशन कानून के तहत अब सभी निजी मान्यता प्राप्त स्कूल केवल निर्धारित शुल्क ही वसूल सकेंगे. इनमें पंजीकरण शुल्क 25 रुपये, प्रवेश शुल्क 200 रुपये और कॉशन मनी अधिकतम 500 रुपये निर्धारित की गई है, जिसे ब्याज सहित लौटाना अनिवार्य होगा. विकास शुल्क वार्षिक ट्यूशन फीस के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं लिया जा सकेगा. इसके अलावा, किसी भी प्रकार का सेवा आधारित शुल्क केवल नो-प्रॉफिट, नो-लॉस के आधार पर ही लिया जा सकेगा. जिस सेवा का छात्र उपयोग नहीं करेगा, उसके लिए शुल्क वसूलना प्रतिबंधित होगा.
लेखा व्यवस्था होगी पूरी तरह पारदर्शी
फीस रेगुलेशन एक्ट, 2025 के तहत स्कूलों की अकाउंटिंग व्यवस्था को भी पारदर्शी बनाया गया है. प्रत्येक प्रकार की फीस के लिए अलग-अलग लेखा पुस्तिकाएं रखनी होंगी. स्कूलों को फिक्स्ड एसेट रजिस्टर बनाए रखना होगा और कर्मचारियों के लाभों के लिए वित्तीय प्रावधान करना अनिवार्य होगा. छात्रों से एकत्र की गई राशि को किसी अन्य ट्रस्ट या संस्था में स्थानांतरित नहीं किया जा सकेगा. यदि कोई अतिरिक्त राशि बचती है तो उसे अभिभावकों को लौटाना होगा या भविष्य की फीस में समायोजित करना होगा.
तीन साल तक स्थिर रहेगी फीस
नए कानून के अनुसार, हर स्कूल को प्रत्येक वर्ष 15 जुलाई तक स्कूल-स्तरीय शुल्क विनियमन समिति का गठन करना होगा. इस समिति में लॉटरी के माध्यम से चुने गए पांच अभिभावक, महिला प्रतिनिधित्व, एससी-एसटी और पिछड़े वर्गों के प्रतिनिधि, शिक्षा निदेशालय का प्रतिनिधि शामिल होगा. स्कूल प्रबंधन समिति का अध्यक्ष इसका नेतृत्व करेगा. स्कूलों को अपनी प्रस्तावित फीस 31 जुलाई तक समिति को सौंपनी होगी. समिति फीस को मंजूरी दे सकती है या घटा सकती है, लेकिन बढ़ा नहीं सकेगी. एक बार तय होने के बाद फीस तीन शैक्षणिक सत्रों तक नहीं बढ़ाई जा सकेगी.
फीस संरचना सार्वजनिक करना अनिवार्य
स्वीकृत फीस संरचना को स्कूल के नोटिस बोर्ड पर हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा. इसके साथ-साथ स्कूलों को यह जानकारी अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर भी अपलोड करनी होगी, ताकि अभिभावकों को पूरी पारदर्शिता मिल सके.
फीस देरी पर बच्चों के खिलाफ कार्रवाई पर रोक
फीस रेगुलेशन एक्ट, 2025 में यह भी स्पष्ट किया गया है कि फीस जमा न होने या देरी होने की स्थिति में बच्चों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकेगी. छात्रों का नाम स्कूल से नहीं काटा जाएगा, न ही परीक्षा परिणाम रोके जाएंगे और न ही उन्हें कक्षा में प्रवेश से वंचित किया जाएगा. यह कानून दिल्ली के सभी निजी स्कूलों पर समान रूप से लागू होगा.
सरकार का कहना है कि इस कानून से न केवल फीस व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी, बल्कि अभिभावकों का भरोसा भी बहाल होगा और शिक्षा को व्यवसाय बनने से रोका जा सकेगा.
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