Shivraj Patil : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री शिवराज पाटिल का शुक्रवार को 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया. लंबे समय से बीमार चल रहे पाटिल का लातूर में उपचार चल रहा था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके निधन की खबर मिलते ही राजनीतिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई.
लातूर से सात बार पहुंचे संसद
पाटिल ने अपने लंबे राजनीतिक जीवन में लातूर लोकसभा सीट से लगातार सात बार जीत दर्ज की. 1980 में पहली बार लोकसभा पहुंचे और 2004 तक वह संसद में सक्रिय रहे. उन्हें लातूर क्षेत्र में एक प्रभावशाली और जमीन से जुड़े नेता के रूप में जाना जाता था.
संसदीय समितियों में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
1980 और 1990 के दशक में पाटिल संसदीय वेतन और भत्तों से संबंधित संयुक्त समिति के सदस्य रहे और बाद में उसके अध्यक्ष बने. संसदीय कार्यप्रणाली की उनकी गहरी समझ के कारण वे पार्टी और संसद, दोनों ही जगह पर एक अनुभवी चेहरे के रूप में पहचाने जाते थे.
रक्षा राज्य मंत्री से लेकर गृहमंत्री तक
अपने शुरुआती राजनीतिक सफर में पाटिल इंदिरा गांधी सरकार में रक्षा राज्य मंत्री भी रहे. उनके कैरियर का सबसे बड़ा दायित्व तब मिला जब 2004 में UPA सरकार ने उन्हें देश का गृहमंत्री बनाया. आंतरिक सुरक्षा और आतंकवाद से संबंधित मामलों में वे लगातार सक्रिय रहे.
26/11 मुंबई आतंकी हमले के बाद सुरक्षा चूक को लेकर उठे सवालों के बीच उन्होंने 30 नवंबर 2008 को नैतिक आधार पर इस्तीफा दे दिया था.
क्या सबसे दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी मुंबई बम धमाका?
पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री शिवराज पाटिल का कार्यकाल कई मायनों में चर्चित रहा. 2004 में लोकसभा चुनाव हारने के बावजूद उन्हें गृहमंत्री बनाया गया था, जो उनके राजनीतिक कद को दर्शाता है. हालांकि गृहमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल विवादों से भी भरा रहा.
सबसे अधिक आलोचना उन्हें मुंबई बम धमाका के दौरान मिली. पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने समुद्री रास्ते से मुंबई में घुसकर कई स्थानों पर हमले किए. ताज होटल, रेलवे स्टेशन और अन्य भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में हुए बम विस्फोट और गोलीबारी ने देशभर में खलबली मचा दी. इस हमले में सैकड़ों लोग मारे गए और बड़ी संख्या में घायल हुए.
घटना के बाद गृहमंत्री के रूप में पाटिल की छवि प्रभावित हुई. सुरक्षा एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे और कहा जाने लगा कि उनके कार्यकाल में देश की सुरक्षा में चूक हुई. इन घटनाओं और आलोचनाओं के चलते उन्होंने 30 नवंबर 2008 को इस्तीफा दे दिया, जिसे नैतिक जिम्मेदारी के तौर पर माना गया.
क्या पंजाब के गवर्नर भी रहे थे शिवराज पाटिल?
शिवराज पाटिल को गांधी परिवार के करीबी लोगों में गिना जाता है. वे इंदिरा गांधी से सोनिया गांधी तक परिवार के साथ रहे और विभिन्न मंत्रालयों को संभाला. वे देश के रक्षा मंत्री भी रहे थे. 2010 में उन्हें पंजाब का राज्यपाला बनाया गया था. 1991 में वे लोकसभा के अध्यक्ष भी रहे थे. वे महाराष्ट्र के लातूर से 7 बार निर्वाचित हुए थे. उस्मानिया यूनिवर्सिटी से साइंस ग्रेजुएट थे, बाद में उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से लाॅ की डिग्री ली थी.
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