Zero Balance Account : देश में करोड़ों लोग जीरो बैलेंस अकाउंट का उपयोग करते हैं. इस तरह के खातों में न्यूनतम बैलेंस नहीं रखना पड़ता और फिर भी कोई पेनल्टी या अतिरिक्त शुल्क नहीं लगता. अब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इन खातों के लिए और राहत देने वाले नियमों की घोषणा की है, जिससे ग्राहकों को कई नई सुविधाएँ मुफ्त मिलेंगी.
पहले अलग-अलग शुल्क से बढ़ती थीं परेशानियाँ
पहले अलग-अलग बैंकों में जीरो बैलेंस अकाउंट पर विभिन्न प्रकार के शुल्क लगा दिए जाते थे, जिससे उपभोक्ताओं को दिक्कत होती थी. नए प्रावधानों के बाद यह स्थिति नहीं रहेगी. सुधारों का सबसे अधिक लाभ गांवों, कस्बों और रोज़मर्रा के डिजिटल यूजर्स को मिलने की उम्मीद है.
डिजिटल पेमेंट पूरी तरह फ्री, कोई लिमिट नहीं
सबसे बड़ा बदलाव डिजिटल पेमेंट से जुड़ा है. कई बैंक UPI, IMPS या NEFT ट्रांजैक्शन को निकासी मानकर चार्ज लगाते थे. नई व्यवस्था के अनुसार किसी भी प्रकार के डिजिटल पेमेंट को निकासी नहीं माना जाएगा. इसका मतलब यह है कि जीरो बैलेंस अकाउंट में डिजिटल लेनदेन पूरी तरह मुफ्त और अनलिमिटेड रहेंगे.
हर महीने चार मुफ्त कैश निकासी ज़रूरी
नकद उपयोग करने वाले ग्राहकों को भी राहत दी गई है. नए नियमों के अनुसार बैंक को हर महीने कम से कम चार मुफ्त कैश निकासी उपलब्ध करानी होगी. यह सुविधा अपने बैंक के एटीएम के साथ-साथ दूसरे बैंक के एटीएम से भी लागू रहेगी. इससे उन लोगों को आराम मिलेगा जो डिजिटल लेनदेन करने में सक्षम नहीं होते.
डेबिट कार्ड पर सालाना शुल्क समाप्त
डेबिट कार्ड से जुड़ी परेशानियों पर भी रोक लगा दी गई है. पहले कई बैंक सालाना फीस या रिन्यूअल शुल्क वसूलते थे, लेकिन अब जीरो बैलेंस अकाउंट पर जारी डेबिट कार्ड पूरी तरह मुफ्त होगा और इस पर कोई सालाना चार्ज नहीं लगेगा.
चेकबुक और पासबुक की सुविधा मुफ्त
चेकबुक और पासबुक से जुड़े नियमों को भी आसान किया गया है. अब ग्राहक को हर साल 25 पन्नों की चेकबुक मुफ्त देनी होगी. इसके साथ ही पासबुक या मंथली स्टेटमेंट देना भी बैंक की जिम्मेदारी होगी. पहले इन दोनों पर भी शुल्क वसूला जाता था.
जमा (डिपॉजिट) पर भी खत्म हुई सीमा
पहले कुछ बैंक लगातार जमा पर नियम लागू कर देते थे, लेकिन अब ऐसी कोई पाबंदी नहीं रहेगी. जीरो बैलेंस अकाउंट में ग्राहक जितनी बार चाहें उतनी बार कैश या डिजिटल माध्यम से अनलिमिटेड राशि जमा कर सकेंगे.
1 अप्रैल 2026 से लागू होंगे नए नियम
यह पूरे बदलाव 1 अप्रैल 2026 से देश भर में लागू कर दिए जाएंगे. हालांकि, बैंक चाहें तो ग्राहकों की सहूलियत के लिए इन्हें इससे पहले भी शुरू कर सकते हैं.
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